














Sharad Purnima, Vrindavan



थारी लाल तुमपै मैं बलिजाऊँ।
श्रीवन माहिं निरंतर वसिकै तुमरो ई गुन गाऊँ॥
चरन निहोरि कहों करजोरी यह मांगें हो पाऊँ।
ललिता माधुरी निरखि जुगुलछवि मनकी साध पुराऊँ॥
Phool Bangla Flower Decoration of thakur ji, Vrindavan



तुव रुचि जानि छवीले सों, नाना वनफूल विनाऊं ।
नानाभांति लालसंग वीनौं, देखि न दृग सियराऊं ।।
Shri Krishna Janmashtami, Vrindavan



भादों कृष्णा अष्टमी रसिकन को सुख दैन॥
ललितादिक लीला रची लखि सचु पावत नैन॥
नैन पावत सचु सखी छविरूप दंपति देखिकै॥
देखें मानो चकोरी है रहे मुख लेखक॥
Shri Radha Ashtami, Vrindavan



याही गैल छैल मनमोहन वीरा टुक मुसक्या गयी है।
नीरी सी नबवाल छँंगुनियां गहि दुगसैन चलाय गयो है ।।
ललित किरोरी फूक बंसुरिया मुहनी सी सगराथ गयी है।
क्रितक्रित इत उत मची डगरमें व्रज विनमोल विकाई गयो है।।
Dipawali & Annakut, Vrindavan



भरे भादों अंधेरी छवि अपारी।
भई दिन दोपहर की रैन कारी।
पखेरू उड़ घुसे घर घोस में री ।
जगी आतिश हिये चकवा चकेरी ।।
Jal Yatra, Vrindavan



सावन मास सुहावन भावन, झींगुरवा बोलें।
दादुर सोर मचावें वनवन, इंद्रवधू डोलैं।
सखिन दूम डारिदिये झूला।
झमकिझमकि झूलें झुकि गावें, झोंटासमतूला।।
Khichdi Bhog, Vrindavan



उधर से श्यामघन सजि गर्जि आया।
मदन दोहून वनवीथिन दवाया।।
दूऊ दुर तेग अवरू संवारी।
लगे दृगकोर की मारन कटारी।।
Rath Yatra, Vrindavan
Holi, Vrindavan



श्रीचैतन्य नाम धन मेरे कर्म धर्म दूजो नहिं जानू ।
सपनिहुँ आन देव नहिं गौरश्याम उरमें अनुमानीं ।।
नहिं अभिलाष मुक्तिकी मेरे आस वास श्रीवन हियआनीं।
ललितकिशोरी कृपा न भयकछु सांच कहों झूठी न बखानी॥



फागुनमास रंगीला, घरघर ढोलक डफ वाजें।
चपलि चपलि खेलें चपलासी, अवला तजि लाजैं।।
चलें रंग केशर पिचकारी।
दंद गुलाल घटा घिरिआंई, भादौं अँधियारी।।



Jhulan Yatra, Vrindavan
झूलत श्यामा सांवरो, झोटा आलिंगन देत।
पुलकि पुलकि विहरत लखौं, वंशीवट संकेत।।
पीताम्बर मिली चुनरी, फुहरत झोंटा मांहि।
बरसाने दोऊ भामते, झूलत नैन लखाही ।।
Basant Panchami, Vrindavan



माहमहीना अतिरसभीना, छविवसंत छाई।
दुम पत्रं वीन प्रफुल्लित, सौरभ महिकाई।।
सावन तन पीतवसन धारे। भोजन भवन पीत आभूषन, अँगअँग सिंगारे।।
परसि मुखचुंबन ललताहीं। श्यामाश्याम रसिक रंगभीने, दीने गलवाहीं।।
Akshay Tritiya, Vrindavan



अखैतीज उत्सव री सजनी, रसभीनी रजनी अतिष्यारी॥
फूल रही वनकुंजन वेली, कली चमेली कुमुद निवासी ।।
LIST OF FESTIVALS CELEBRATED IN
SHAH JI TEMPLE, VRINDAVAN
